Language development | भाषा विकास का अर्थ, चरण, अवस्थाएं

भाषा विकास | Language development

भाषा

भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है। भाषा व्यक्ति वस्तु या स्थान का सूचक है।

भाषा विकास के चरण

  1. सुनना
  2. बोलना
  3. पढ़ना
  4. लिखना

भाषा विकास की अवस्थाएं

1. रोना
            रोना भाषा विकास की पहली अवस्था है।  रो कर बच्चा अपनी दुख की भावनाओं को प्रकट करता है। बच्चा अलग-अलग तरह से रोता है।

2. घुटकना
            3 महीने का बच्चा घुटकना शुरू करता है। किस प्रक्रिया में बच्चा स्वर वर्ण का उच्चारण करता है। इस प्रक्रिया में बच्चा अपने हर्ष को प्रकट करता है।

3. बलबलाना
            6 माह का बच्चा बलबलाना शुरु करता है। इस प्रक्रिया में बच्चा स्वर के साथ व्यंजन मिलाने लगता है जैसे –  चा, की, पा, मां, लो आदि………..
9 माह का बच्चा एक ही वर्ण लगातार श्रंखला के रूप में  दोहराता है। जिसे शब्द अनुकरण या इकोललिया ECHOLALIA  कहते हैं।

4. बोलना

  • 12 से 18 माह का बच्चा बोलना शुरू करता है। सबसे पहले बच्चा एक शब्द वाला वाक्य बोलता है यह शब्द संज्ञा होता है  जैसे पापा, पानी, घर आदि यह शब्द पूरे वाक्य का अर्थ स्पष्ट  कराते हैं। इस प्रकार के बोलने को एक शब्द वाला वाक्य Holo Phrase कहते हैं। सर्वनाम का प्रयोग करते समय बच्चा तुम की तुलना में मैं का प्रयोग अधिक करता है।
  • 18 से 24 माह का बच्चा दूसरा शब्द बोलना शुरू करता है। दूसरा शब्द क्रिया होता है अर्थात बच्चा अपने दूसरे जन्म दिवस पर दूसरा शब्द बोलता है। इस प्रकार से बोलने को तार वाली भाषा Telegraphic Speech कहते हैं।
  • इसके तुरंत बाद बच्चा तीसरा सब बोलना शुरू करता है तीसरा शब्द विशेषण होता है।
  • ढाई 2 ½ वर्ष का बच्चा व्याकरण का प्रयोग शुरु कर देता है। अर्थात वचन और लिंग का प्रयोग करने लगता है।
  • 4 से 5 वर्ष के बच्चे लंबे वाक्य बोलने लगते हैं। लगभग इसी समय तक उच्चारण विकास पूरा हो जाता है इसके लिए माता-पिता व परिवार जिम्मेदार होता है। अतः माता-पिता को स्पष्ट शुद्ध उच्चारण करना चाहिए।
  • 9 से 10 वर्ष के बच्चे का भाषा विकास पूरा हो जाता है अर्थात बच्चा हर प्रकार के वाक्य पढ़ लेता है, लिख लेता है अथवा समझ लेता है।

भाषा विकास के सिद्धांत

वातावरणीय सिद्धांत  – बीएफ स्किनर ( यूएसए )
        भाषा विकास में वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जैसा वातावरण होता है बच्चे की भाषा वैसी ही होती है। बच्चों को भाषा व्यक्तित्व वस्तु या चित्र से संबंध जोड़कर समझाई जाती है। बच्चों को भाषा निम्न क्रम में सिखाई जाती है –

  • अनुकरण
  • पुनर्बलन
  • अभ्यास

जन्मजात सिद्धांत – नोम चोम्स्की
        बच्चे के भाषा विकास में वंशानुक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है बच्चा LAD Language Acquisition Development के साथ जन्म लेता है।

  • L     Language          भाषा
  • A    Acquisition        ग्रहण
  • D    Development     साधन

अर्थात बच्चे के अंदर भाषा सीखने की जन्मजात क्षमता होती है बाद में चोमस्की में LAD को  सार्वभौमिक भाषा व्याकरण Universal Language Grammar कहा। अर्थात बच्चे के अंदर जन्म से ही विश्व की सभी भाषाओं की व्याकरण उपलब्ध रहती है। उदाहरण –  एक हिंदी परिवार का बच्चा अंग्रेजी पर्यावरण में रहकर अंग्रेजी सीखता है। वह बच्चा अंग्रेजी इसलिए सीख पाया क्योंकि बच्चे के अंदर अंग्रेजी  की व्याकरण पहले से ही मौजूद  है।
चोम्स्की के अनुसार भाषा सीखते हुए बच्चा 2 नियमों का प्रयोग करता है – 

1. सतही संरचना का नियम Law of Surface Structure
        इस नियम के द्वारा बच्चा शाब्दिक अभिव्यक्ति जैसे बोलना, पढ़ना, लिखना आदि सीखता है।

2. गहरी संरचना का नियम  Law of Deep Structure
        इस नियम के द्वारा बच्चा वाक्य के अर्थ सीखता है। उदाहरण –

            दो  सतही संरचना  की संरचना एक ही हो सकती है। जैसे –
            Ram reads a book.
            A book is read by Ram.

            एक  सतही संरचना  की गहरी संरचना दो भी हो सकती हैं। जैसे –
            A lamb is ready to eat.
            रोको  मत जाने दो

भाषा सीखने की समस्या चोमस्की के अनुसार

सतही संरचना से गहरी संरचना में प्रवेश करना ही भाषा सीखने की समस्या है। 

विचार एवं भाषा में संबंध

जीन पियाजे के अनुसार बच्चे की भाषा जीवन से ही उनके विचारों का अनुसरण करती है। विचारों का अनुसरण ही नहीं करती बल्कि उसे आगे भी बढ़ाती है अर्थात विचार और भाषा दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

लेव वाइगोत्सकी  दो वर्ष तक बच्चों की भाषा और विचार अलग-अलग होते हैं। 2 वर्ष के बाद बच्चों के विचार एवं भाषा एक होने लगते हैं।

लेव वाइगोत्सकी का योगदान

  बच्चों के विकास में समाज और संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है  जैसा समाज होता है बच्चे का विकास वैसा ही होता है। बच्चे अपने से बेहतर के साथ अच्छा सीखता है। बच्चों को पहले स्वयं विकास करने का अवसर देना चाहिए जब बच्चा विकास करने में असमर्थ हो तो बड़ों को सहायता करनी चाहिए।
बच्चे अपने कार्यों को दिशा देने के लिए स्वयं से बातें करता है। इस प्रकार की बोली को व्यक्तिगत बोली या भाषा कहते हैं। वाइगोत्सकी के अनुसार –

 बच्चा पहले सीखता है फिर उसका विकास होता है।

लेव वाइगोत्सकी के अनुसार महत्वपूर्ण संप्रत्यय

1. Internalization आत्मसात करना
            बच्चों के द्वारा स्वयं अपने प्रयासों से सीखा गया ज्ञान आत्मसात कहलाता है।
                जैसे –  बच्चों के द्वारा मात्र भाषा सीखना

2. Scaffolding सहारा /  पाड / पाडट /  ढांचा
            बच्चों के विकास में अनुभवी व्यक्तियों का अस्थाई सहयोग होता है। यह सहयोग प्रशंसा एवं सहायता के रूप में हो सकता है।

3. ZPD Zone of Proximal Development समीपस्थ विकास का क्षेत्र
            अनुभवी व्यक्तियों के सहयोग से विकसित होने वाला क्षेत्र अर्थात बच्चों के द्वारा स्वयं विकास किया गया क्षेत्र और बड़ों की सहायता से विकास किया गया क्षेत्र का अंतर।

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